कुछ तो है ज़रूर के इस रात
चांद पिघल सा रहा है
मेरी नाव चल रही है और
नदी के सिलवटों पर चांद तैर रहा है
सितारे नहीं दिखते आज कल,
तुम्हारी यादों में आसमान धुंधला सा गया है
मेरी नाव चल रही है और
किनारे एक हिरनी मुझे देखती है
कोई अंत नहीं इस सोच का
सिर्फ एक एहसास भर है
मेरे हाथों में तुम्हारी तस्वीर है
और रोशनी चांदनी की है